12/2023
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✍️ शब्दकार ©
🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
आया शुभ नया वर्ष,छाया नवल उत्कर्ष,
भरा हृदय में हर्ष, जागी नई भोर है।
जगी उषा रश्मि लाल,भरे झोली में प्रवाल,
करे प्राची को निहाल , खग -वृंद रोर है।।
धूप चाहें नारी - नर, पूस शीत करे तर,
ओस रही सूक्ष्म तर,बैठा मौन मोर है।
गली - गली तमचूर, बाँग दे रहे सुदूर,
भरा खेत वन नूर, चारों ओर - छोर है।।
-2-
गया और एक साल,गूँज रही नव ताल,
घड़ी बदली है चाल, शीत में उभार है।
ओढ़ शॉल या रजाई,गाय भैंस को ओढ़ाई,
पिएँ दूध गर्म चाई, बढ़ा ओस ज्वार है।।
नृत्य करें वन मोर, देख हर्षित हैं पोर,
जन आनंद विभोर, सूर्य समुदार है।
सुख बाँट रही धूप, उष्ण नीर भरे कूप,
नववर्ष का सुरूप , दान करे प्यार है।।
-3-
बहू आई ससुराल, चले हंसिनी - सी चाल,
भिन्न रूप रंग ढाल, लगी नई साल है।
मोर नाचते मुँडेर, झूम रहे बेर केर,
मिटा रात का अँधेर, तारा रिक्त थाल है।।
भाभी - भाभी की गुहार, करे ननदी उदार,
मीठे बोल में उचार, राग बेमिसाल है।
मुग्धा यौवन-उजास , प्रेम हर्ष करे वास,
भरे सौम्यता सहास, रंग का उछाल है।।
-4-
नया ईसवी का साल,उषा रश्मि है प्रवाल,
भानु फैलाए सँजाल , प्रेम अपनाइए।
भूलें गत दुख दर्द,झाड़ वसनों की गर्द,
शीत ऋतु बड़ी सर्द, ठंड से बचाइए।।
देख कोहरे की धूम, बढ़ा जीवन की बूम,
सत पंथ को न भूल, खुशियाँ मनाइए।
सदा करें उपकार, जीव मात्र का सुधार,
यही जीवन का सार, नवगीत गाइए।।
-5-
करें सभी काम-काज,शादी ब्याह के सुसाज,
बीते कल और आज,नया नहीं मानें वे।
तान अपनी ही तान,दिखा खोखली वे शान,
दिया करें महाज्ञान, धरे नए बाने वे।।
कसें जींस शर्ट धार,करें पीत का प्रसार,
ठानें एक नई रार, भले नहीं जानें वे।
ऐसे अंधभक्त मूढ़, पंथ चलें सदा रूढ़,
आकंठ गए वे बूड़, ति छन्नों में छानें वे।।
🪴शुभमस्तु !
07.01.2023◆4.00
पतनम मार्तण्डस्य।
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