55/2023
■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■
✍️ शब्दकार ©
📱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■
सबको भाया एक खिलौना।
चाचा, चाची, मौनी , मौना।।
सुघर खिलौना ऐसा आया।
सबके मन को अति ही भाया
लंबा हो या मोटा, बौना।
सबको भाया एक खिलौना।।
मोबाइल सब उसको कहते।
उसके बिना न पलभर रहते।।
नहीं चाहता कोई खोना।
सबको भाया एक खिलौना।।
घंटों तक वे चिपके रहते।
विरह न मोबाइल का सहते।।
लगता है जादू अनहोना।
सबको भाया एक खिलौना।।
खेल पहेली खेले कोई।
सीखे कोई जनी रसोई।।
ऑनलाइन क्रय करे बिछौना।
सबको भाया एक खिलौना।।
मुखपोथी में कोई खोया।
व्हाट्सएप के सँग में सोया।।
यू -ट्यूबर का बड़ा भगौना।
सबको भाया एक खिलौना।।
बालक बाला नर या नारी।
सबको लगी एक बीमारी।।
हुआ मुबाईल के सँग गौना।
सबको भाया एक खिलौना।।
🪴 शुभमस्तु!
30.01.2023◆6.30
पतनम मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें