25/2023
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✍️ शब्दकार ©
🧡 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
संकट मोचन नाम है, रामभक्त हनुमान।
माँ अंजनि के पुत्र तुम,करता हूँ प्रभु ध्यान।।
करता हूँ प्रभु ध्यान,चरण में हूँ नत वंदन।
करें निवारण कष्ट, हरें प्रभु उर के बंधन।।
'शुभं'सिया की खोज,लखन तन का विष शोधन।
करते हनुमत वीर,भक्त के संकट मोचन।।
-2-
अनुदिन ध्याएँ प्रेम से, महावीर हनुमंत।
कृपा करें निज भक्त पर,सियाराम भगवंत।।
सियाराम भगवंत, भक्त -पर्याय निराले।
लगा देह सिंदूर, गदा का अस्त्र सँभाले।।
'शुभम्' हुए वज्रांग,बने हैं रक्षक छिन-छिन।
रहते सदा अवध्य, सर्व आयुध सेअनुदिन।।
-3-
बाएँ कर में थाम कर , गदा भीम बजरंग।
अणिमा गरिमा सिद्धियाँ,धर लघिमा का संग
धर लघिमा का संग,पाश अंकुश तरु धारें।
मुष्टि खड्ग खट्वांग,खंभ पर्वत भी मारें।।
दसवाँ अस्त्र त्रिशूल,'शुभम्' कर धरते दाएँ।
कर दानव - संहार, हाथ निज दाएँ - बाएँ।।
-4-
हनुमत का हथियार है,लंबी सुदृढ़ पूँछ।
अस्त्र-शस्त्र दसऔर भी,छू न सके अरि मूँछ
छू न सके अरि मूँछ,रुद्र शंकर अवतारी।
उड़ता वाहन वायु, देह करते अति भारी।।
'शुभम्' देव साक्षात,सदा जाग्रत धरते सत।
रामभक्त बजरंग,हटाते शनि को हनुमत।।
-5-
हनुमत की अर्धांगिनी, थीं सुवर्चला नेक।
सूर्यसुता शनि की बहन,सत्य कथन ये एक
सत्य कथन ये एक,शानिश्चर के बहनोई।
थे कपीश बजरंग,अनोखी भक्ति समोई।।
'शुभम्'राम पद भक्त,राम रटते प्रतिपल रत।
मारुति देव महान,अंजना सुत हे हनुमत।।
🪴शुभमस्तु!
13.01.2023◆3.15 पतनम मार्तण्डस्य।
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