सोमवार, 30 जनवरी 2023

गणतंत्र 🇮🇳 [ कुंडलिया ]

 49/2023

       

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✍️ शब्दकार ©

🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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                         -1-

वेला  शुभ  गणतंत्र की,मिला हमें  नव  मंत्र।

विधिवत  संचालन  करें,बृहत देश  का  तंत्र।

बृहत  देश   का तंत्र,  एकता में  बँध   जाएँ।

हो  अखंड    भूभाग, दिवाली पर्व   मनाएँ।।

'शुभम्' विविध हैं रंग,विविधता का है  मेला।

हो न  परस्पर  द्वंद्व, आगमित पावन  वेला।।


                         -2-

अपने भारत  देश का, समता  मूल  विधान।

 धर्म सभी सब जातियाँ,सबका तंत्र समान।।

सबका  तंत्र समान,सुहृद गणतंत्र  कहाता।

मिलजुल  करें निवास,सुमन से बाग सुहाता।

'शुभम्' करें गुणगान, देख जो संभव  सपने।

आस्तीन के  साँप, कभी क्यों होते  अपने??

 

                           -3-

झाड़ी   दाढ़ी  की  लगे, शोभन  रूपाकार।

मठाधीश  विद्वान की,कतिपय संत मजार।

कतिपय संत मजार,दाढ़ियों में   भी  माया।

बना देश गणतंत्र, चरित की गाढ़ी   छाया।।

बड़े - बड़े हैं राज,कभी सीधी सित  आड़ी।

'शुभम्'खुजा लें खाज,घनी शूलों की झाड़ी।


                         -4-

खाते भू  का अन्न फल,पीते भी  सद  नीर।

ज्योति जलाएँ दीप की,रखना बचा  उशीर।।

रखना  बचा  उशीर, देश की भाषा  वाणी।

रहे अमर गणतंत्र, नारियाँ जग  कल्याणी।।

'शुभम्'न्याय विश्वास,व्यक्ति की गरिमा पाते।

बढ़े  बंधुता  नित्य, दिया भारत  का खाते।।


                         -5-

भारत की पहचान है,अपना सुघर  विधान।

देश  सुदृढ़  गणतंत्र  ये,हमें बचाना   मान।।

हमें  बचाना  मान,परस्पर लड़े    न   कोई।

होगा स्वर्ण-विहान, गुलामी अपनी    खोई।

करके कर्म महान,सुलभ हों सभी  महारत।

गुरु जगती का देश,'शुभम्'हो अपना भारत।


🪴शुभमस्तु!


27.01.2023◆12.30 पतनम मार्तण्डस्य।

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