010/2023
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✍️ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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चारों ओर से
लदी बर्फ़ों के बीच
लैस बदूकों से
वीर सैनिक
प्राण का पण
लगाए हुए
सन्नद्ध हैं
नमन उनको।
सफ़ेद दूधिया बर्फ़ में
धँसे हुए
कमर तक
चिंता नहीं
निज प्राण की,
है लगन सच्ची
बस स्वदेश के
त्राण की,
कैसे करें
अभ्यर्थना उनकी
किन शब्दों में।
यही तो हैं
सच्चे देशभक्त
माँ भारती के सपूत,
उनके भी हैं
परिजन परिवार,
देश की ख़ातिर
दिया है
अपना सर्वस्व
जिन्होंने वार,
हमारे प्राण रक्षक
उऋण नहीं
होना है
जिनके ऋण से कभी।
बगबगे वसनों में
कहाँ देशभक्ति?
सच्ची अनुरक्ति,
कोरा दिखावा
एक नाटक,
विलासिता का
मखमली इतिहास!
देशानुरागियों का परिहास,
कहाँ वे
और कहाँ ये!
सैनिकों के त्याग,
कर्तव्य औऱ
बलिदान का
प्रतिकार
कभी सम्भव नहीं,
शत सहस्र आवृत्ति
नमन उनको,
नमन उनको,
नमन उनको।
🪴 शुभमस्तु !
05.01.2023◆5.30
पतनम मार्तण्डस्य।
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