गुरुवार, 19 जनवरी 2023

स्वावलंब हो सम्बल 🪦 [ गीतिका ]

 29/2023


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✍️ शब्दकार ©

☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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देशप्रेम  जिस  उर   को भाए।

उसने  गीत प्रेम   के     गाए।।


स्वावलंब   हो   संबल सबका,

नहीं विपथ पर जन  भरमाए।


फल  के  विटप लगाने  वाला,

मृदु फल  का  आनंद  मनाए।


पर- उपकारी   सदा  सुखी हैं,

नहीं किसी को  कभी सताए।


सत चरित्र के   हों   नर- नारी,

देश   न   घर  गर्तों   में  जाए।


मात - पिता   की  आज्ञाकारी,

संतति से क्यों  जन उकताए?


'शुभम्' सुसंगति नित हितकारी,

जन - जन के उर में नर छाए।


🪴शुभमस्तु !


16.01.2023◆5.15आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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