31/2023
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✍️ शब्दकार ©
🫐 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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लगते फल डालें झुक जातीं।
समझ सकें तो सबक सिखातीं।।
तेज धूप में छाया देतीं।
सब थकान अपनी हर लेतीं।।
नहीं कभी देकर इतरातीं।
लगते फल डालें झुक जातीं।।
दातुन नीम डाल की करते।
दंत - रोग हम सब ही हरते।।
शाखाएँ बबूल की भातीं।
लगते फल डालें झुक जातीं।।
आम , संतरा , नीबू सारे।
चीकू, केला मधुर हमारे।।
अंगूरों की लता लुभातीं।
लगते फल डालें झुक जातीं।।
लगें बेल पर फल तरबूजा।
महक भरा मीठा खरबूजा।।
गर्मी में ककड़ी भी आतीं।
लगते फल डालें झुक जातीं।।
बारह मास मधुर फल पाते।
रुचि ले लेकर हम सब खाते।।
वे कृतज्ञता नहीं जतातीं।
लगते फल डालें झुक जातीं।।
🪴शुभमस्तु !
17.01.2023◆4.30
पतनम मार्तण्डस्य।
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