36/2023
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✍️ शब्दकार ©
🦢 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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बातों की
खों - खों से
खोंखियाने वाली
इन मत्स्य -भक्षिकाओं को
हंस मत समझो,
ये तो मात्र
'बतखें' हैं,
इन 'बतखों' की
खों- खों
बस उनकी
खोंखियाहट है ।
मुक्ताग्राही 'हंसों' की
इन 'बतखों' से
क्या समानता!
तुलना भी क्या ?
इनका काम है
बस गंदगी पर
पंजे मारना,
अपने आहार को
खोजकर निकालना।
पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं
ये सभी 'बतखें'
इनकी स्तुति
निंदा पर क्या जाना,
गोरा रंग होने से
गर्दभ अश्व
नहीं हो जाते!
आइए इन
'बतखों' और
'हंसों' को जानें
पहचानें,
और इनकी
मत्स्यग्राही दृष्टि को
भविष्य के लिए
खतरा मानें।
'शुभम्' नहीं हैं ये
किसी के भी लिए,
इनका तो काम ही है
चीरना - फाड़ना
हिंसा कर
करती हैं हनन ,
करें तो इस तथ्य पर
तटस्थ होकर मनन,
यथार्थ जान लेने पर
होगी ही
मस्तिष्क में
छूम - छनन।
🪴 शुभमस्तु !
20.01.2023◆6.00आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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