रविवार, 3 नवंबर 2024

जय गोवर्द्धन धाम [अतुकांतिका]

 495/2024

           

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


रास रचैया

यशुमति छैया

राधा के घनश्याम

ब्रजरक्षक

बलदाऊ भैया

शत- शत सहस प्रणाम।


छिंगुली अँगुली

पर धारण कर

गिरि को उठा लिया,

इन्द्रकोप से

की ब्रज रक्षा

जय गोवर्द्धन धाम।


क्या राधा

क्या गोप गोपियाँ

क्या बाबा नन्द महान,

गौएँ रँभा रहीं हैं वन में

मुरली की सुन तान।


मित्र मनसुखा

सखा सुदामा

श्रीदामा का साथ,

ललिता नंदा

सखी अंगना 

विनत अहर्निश माथ।


हे योगेश्वर

नीति प्रणेता

बहु प्रतिभा के स्वामी,

सोलह सहस

आठ पटरानी

कहे न कोई कामी,

धन्य 'शुभम्'

नतमस्तक युगवर

हरि अवतारी श्याम।


शुभमस्तु !


02.11.2024●9.00आ०मा०

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