529/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
किसी का
खोल दिया टायर,
किसी के पहिए की
निकाल दी हवा,
कोई खड़ी है
ऊपर उठाए टाँगें
सीट के बल,
कैसा है ये
पंचर वाला मुआ।
सभी को उलझाना
सभी को फँसाना
न किसी का काम
पूरी तरह निबटाना,
वसूलना भी तो है
उससे इसी काम की कीमत,
है कोई जो उठा ले जाए
अपनी ही बाइसिकिल
किसी की हिम्मत ?
व्यवसाय का फॉर्मूला
है यही सब
सबको उलझाए रखो,
बारी - बारी से काम होगा
यही सिद्धांत
दिखाते रहो!
पंचर वालों की तरह ही
प्रकाशन का पहिया
घूमता है,
तब कहीं जाके
सफलता के पाँव चूमता है।
किसी की हवा
निकले तो निकले,
उन्हें तो वसूलने ही हैं
उनसे अपने पैसे जितने,
किसी का वाल्व बदला
किसी को काटा चिपकाया
देखते ही देखते
बाइसिकिल को
सीधा खड़ा करवाया।
शुभमस्तु !
22.11.2024● 12.30 प०मा०
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