गुरुवार, 7 नवंबर 2024

अतुकांत कविता की तरह [ अतुकांतिका ]

 508/2024

      


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


पति की पत्नी से

पत्नी की पति से

तुक मिली

 तो क्या मिली,

एक जाए पूरब

एक जाए पश्चिम

दोनों की

 अलग -अलग ही गली।


कितने जोड़ों की 

एक सम है 

एक ही लय है ?

गूँजता है सामवेद कहाँ

एक दूसरे से भय है।


दोनों का भूगोल अलग

कैमिस्ट्री भी,

पौध की मिट्टी अलग

हिस्ट्री भी,

कुंडलीकार ने

फिर भी मिला दिया,

अब रात दिन 

बजाओ खंजड़ी

तंबू सिला दिया।


गृहस्थी में

छंद का बंध बनाना

विवश जरूरत है,

वरना अंगूर खट्टे हैं

संपूरक हैं,

अतुकांत कविता की तरह

ऊँट और बकरी हैं,

एक छत के नीचे 

असमता में सम हैं,

तुक तो मिलती ही कब है?

अँधेरे की कृपा से

समांत एक सम हैं।


शुभमस्तु !


07.11.2024●3.45 प०मा०

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