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✍ शब्दकार ©
🐔 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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'ख' में गमन जिसने किया,
खग है उसका नाम।
पंक्षी ,नभचर, द्विज वही,
प्रातः से हर शाम।।1।।
विहग, पखेरू, द्विज कहो,
नभचर और पतंग।
चिड़िया रुचिर शकुन्त भी,
'शुभम' न होना दंग।।2।।
अंडज हैं पंक्षी सभी,
सेती मादा अंड।
छुएँ न हम अंडा कभी ,
औऱ न करना खण्ड।।3।।
अंडा यदि मानव छुए,
करे न खग स्वीकार।
मादा फिर सेती नहीं,
लगता उसे विकार।।4।।
वर्तमान ही जानते ,
आज , आज बस आज।
कल को कल ही देखते ,
पंक्षी विहग समाज।।5।।
तिनका- तिनका जोड़कर ,
बना रहे वे नीड़।
बैठे पंक्षी डाल पर,
वट , पीपल तरु चीड़।।6।।
वास्तुशिल्प में पटु बया,
बना रही निज नीड़।
दरवाजे सुंदर सजे,
उसे न भावे भीड़।।7।।
कल की चिंता में नहीं,
जीते पंक्षी आज।
दिनभर भोजन खोजते ,
यही हर्ष का राज।।8।।
शयन - कक्ष है नीड़ में,
सँग में खग - परिवार।
सीमित से करते बसर,
रखते सदा दुलार।।9।।
मोती ही चुगता सदा,
मानसरोवर हंस।
कंकड़ वह खाता नहीं ,
नीर - क्षीर अवतंश।।10।।
कहाँ गए पंक्षी सकल ,
गिद्ध ,बाज औ' चील।
पर्यावरण सुधारते ,
उड़कर मीलों -मील।।11।।
पर्व दशहरा जेठ का ,
नीलकंठ शिव - रूप ।
'शुभम' बहुत दर्शन विरल,
हरी डाल जल -कूप।।12।।
भोली कोयल को ठगे,
काक बहुत चालाक।
सेती कोकिल काग के ,
अंडे मन से पाक।।13।।
पंक्षी प्यासे ग्रीष्म में,
हाल हुआ बेहाल।
दाना - पानी नित रखें,
बना त्राण की ढाल।।14।।
चातक पीता स्वाति जल,
जीवन का आधार।
गंगाजल का पान भी ,
नहीं करे इक बार।।15।।
अमराई में डाल पर ,
बैठे तोता राम।
पिंजड़े में रहना नहीं,
कुतर खा रहे आम।।16।।
गौरैया परिवार सँग,
रहती घर में नेक।
चूँ चूँ कर जाग्रत करे,
भोलेपन की टेक।।17।।
मोर बाग में गा रहे ,
पैहो ! पैहो !! गीत।
पर पसार कर नाचते ,
जगा मोरनी प्रीत।।18।।
नभ में गरजे मेघ जब ,
नाचें गाएँ मोर।
अमराई में गूँजता,
पैहो ! पैहो !! शोर।।19।।
कलरव सुन आँखें खुलीं,
हुई सुनहरी भोर।
वृक्ष लताएँ जग गए ,
चहकी अंबर - कोर।।20।।
नदी किनारे बैठकर ,
नहा रहे कुछ कीर।
पंख बचाकर भींगते ,
पंक्षी यमुना - तीर।।21।।
लता - कुंज में शाख पर,
बुलबुल फुदके रोज।
फूल - फूल पर डोलती,
करती है मधु -खोज।।22।।
श्वेत श्याम रतनार -सी ,
खंजन पक्षी एक।
पुतली - सी नाचे मगन,
शारदीय ऋतु नेक।।23।।
श्यामा हो यदि दाहिने,
यात्रा शुभ हो मित्र।
शकुन बताती है 'शुभम',
महकाती है इत्र।।24।।
बिना पक्षियों के लगे ,
सूना सब संसार।
सुंदरता वे सृष्टि की ,
'शुभम' विहग परिवार।।25।।
पंक्षी भी सब जानते ,
ममता , नेह , दुलार।
कौन बधिक हितु मीत है ,
करता खग - उद्धार।।26।।
💐 शुभमस्तु !
04.06.2020 ◆10.00 पूर्वाह्न।
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