शुक्रवार, 26 जून 2020

सजनी चल री [छंद:तिलका ]

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विधान:112     112
 सगण   सगण
2-2 चरण तुकांत। 
06वर्ण प्रति चरण।
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सजनी चल री।
भरनी   गगरी।।

सरिता   बहती।
कविता कहती।।

उड़ती   चुनरी।
उलझी सिगरी।।

कत मैं  सुलझूं।
तब मैं चल दूँ।।

पथ में किशना।
अपने वश ना।।

झटके  गगरी।
मथुरा नगरी।।

बतियाँ कल की।
यमुना जल की।।
बजती    मुरली।
बहियाँ   धर ली।।

लगता  डर  है।
कँपता  उर है।।

सखियाँ  डरतीं।
जल ना भरतीं।।

जल   तो  भरना।
फिर क्या करना।।

ब्रज  की  धरती।
सुख  ही भरती।।

चल   री यमुना ।
वन में किशना।।

मत  तू  डर री।
गगरी  भर री।।

💐 शुभमस्तु !

20.06.2020◆2.00अपराह्न।

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