सोमवार, 29 जून 2020

मेरी प्यारी विद्या माता [ बाल- वंदना ]


◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
✍ शब्दकार ©
🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
मेरी   प्यारी    विद्या   माता।
तव चरणों में शीश झुकाता।।

सबको    वाणी   देने  वाली।
उर   का तम हर लेने  वाली।।
आँक ज्ञान का हमें न आता।
मेरी  प्यारी    विद्या   माता।।

अक्षर-  ज्ञान  मुझे  करवाओ।
पुस्तक पढ़नाभी सिखलाओ।
लिखना भी तो मुझे न आता।
मेरी  प्यारी    विद्या   माता।।

कोयल  को दी  मीठी  बोली।
भर दो  माँ  मेरी  भी  झोली।।
मोर   पपीहा    सस्वर  गाता।
मेरी    प्यारी    विद्या  माता।।

'अ'से 'ज्ञ'तक सब सिखला दे।
मुझे ज्ञान का  पथ दिखला दे।
जन्म - जन्म का तुझसे नाता।
मेरी    प्यारी   विद्या   माता।।

बचपन  से   दी   तुमने  वाणी।
माता तुम जग की कल्याणी।।
मातु   शारदे  सबकी   त्राता।
मेरी    प्यारी    विद्या  माता।।

💐 शुभमस्तु !

28.06.2020◆3.50 अप.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...