विधान: 111 122 111
न य न
121
ज ।
12वर्ण, चार चरण, 2-2चरण समतुकांत।
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✍ शब्दकार©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जग पर ताना विशद वितान।
प्रभु पर मेरा सब बलिदान।।
प्रतिदिन तेरा कर गुणगान।
हम बन जाएँ 'शुभम'महान।।
तुम जग के हो प्रभु रखवाल।
हर दम देखो दृष्टि सँभाल।।
करतल थामो मम पतवार।
तन मन तेरा शुभ उपहार।।
शरण तुम्हारी प्रभुवर देह।
सृजन तुम्हारा मम यह देय।।
तन यह नाशी प्रभु अविनाश।
'शुभम'अजाना हम अघपाश।
सब रस देते दृश्य न होय।
अनगिन दाने निशिदिन बोय।
उऋण कभी भी शुभम न होय।
जब बदलेगा तन मन खोय।।
💐 शुभमस्तु !
27.06.2020 ◆10.15 पूर्वाह्न।
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