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✍ शब्दकार ©
📱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जीवन में संवाद की,बड़ी महत्ता मित्र।
भाषा शैली में सदा, महकाता है इत्र।।
मधुभाषी संवाद हों, कटुता से नित दूर।
लघु सुबोध लघु मेघ से, निर्मलता भरपूर।।
पत्रों में जो आ रहे, छपकर नित संवाद।
हो प्रभाव जैसा भले ,अंतर तक हो नाद।।
नाटक में संवाद का, होता बड़ा महत्त्व।
बिना श्रेष्ठ संवाद के, मरता जीवन तत्त्व।।
कोर्ट कचहरी में बड़ा,होता वाद -विवाद।
दो पक्षों की बहस का ,कह लाता संवाद।।
मोबाइल पर चल रहे, बड़े - बड़े संवाद।
कभी प्रेम के शब्द हैं,होते कभी विवाद।।
जिनके आनन विष बसा, कत हों मीठे बोल।
वे उगलेंगे जहर ही , संवादों में घोल।।
वाणी में अमृत बसा,वाणी विष की खान।
संवादों को तोलिए,मत कृपाण सी तान।।
भाषा - शैली से सजा , बोल मधुर संवाद।
सत्य और प्रिय जो लगे,लगे न वाद विवाद।।
'शुभम' सहज सुन्दर वचन,होते सुख संवाद।
उर में जाते फूल- से, बनते नहीं प्रवाद।।
💐 शुभमस्तु!
22.06.2020◆3.45अप.
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