विधान:111. 211. 12
न भ लगा
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बहत नीर झरना।
विमल वरि भरना।।
पवन तीव्र बहना।
मनुज वीर सहना।।
बदन ताप हरता।
तुहिन वाष्प तरता।।
वनज जीव भगना।
नचत शाख सुगना।।
उछलता लुढ़कता।
सुघर - सा सरकता।।
अधर में लटकता।
उपल एक सजता।।
हिलत झाड़ कितने।
लगत पेड़ कँपने।।
अजब देख सपना।
पलक भूल झिपना।।
अचल शीत दिखता।
अलख भूमि सिकता।।
सुमन खूब मिलता।
'शुभम' रोम खिलता।
💐 शुभमस्तु !
20.06.2020◆10.00पूर्वाह्न।
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