शुक्रवार, 26 जून 2020

पार्वत्य सौंदर्य [ छंद:गजपति]



विधान:111.   211. 12
            न        भ    लगा
_______
बहत    नीर  झरना।
विमल  वरि  भरना।।
पवन   तीव्र  बहना।
मनुज  वीर   सहना।।

बदन   ताप    हरता।
तुहिन  वाष्प तरता।।
वनज  जीव  भगना।
नचत शाख सुगना।।

उछलता     लुढ़कता।
सुघर -   सा सरकता।।
अधर    में   लटकता।
उपल  एक   सजता।।

हिलत   झाड़  कितने।
लगत  पेड़      कँपने।।
अजब   देख   सपना।
पलक भूल   झिपना।।

अचल    शीत  दिखता।
अलख   भूमि सिकता।।
सुमन खूब      मिलता।
'शुभम'  रोम    खिलता।

💐 शुभमस्तु !

20.06.2020◆10.00पूर्वाह्न।

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