बुधवार, 3 जून 2020

ग़ज़ल


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✍ शब्दकार ©
🌷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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उनपे  अल्लाह  क्या जमाल आया।
 दि  ल  के  कोने    से सवाल आया।।

ज़िन्दगी     के सफर में भी  ग़म के,
मोड़     आते    गये  बवाल  आया।।

चढ़ते -  चढ़ते  पा  गया  मैं मंज़िल,
यकब-   यक  आया  ये ढाल आया।

किस्मते-    आफ़ताब की बुलंदी है,
ढल   गया  दिन   यही धमाल आया।

हमने    कर  दी  थी इल्तिज़ा उनसे,
सुबूत     आया  नया  रुमाल आया।

हसरतें     दिल  में  वो उठीं कि मेरे,
एक   जलवा  जो   बेमिशाल आया।

सुबह     का  भूला     शाम को लौटे,
बाद     मुद्दत 'शुभम'   ख्याल आया।

💐 शुभमस्तु !

02.06.2020◆5.00 अप. 

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