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✍ शब्दकार ©
💃 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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पायल बजती पाँव में,रुनझुन रुनझुन नाद।
घुँघरू पैरों से करें, गीत भरे संवाद।।
गीत भरे संवाद,हृदय कलिका खिल जाती।
मिला निमंत्रण मौन,गज़ब नर पर भी ढाती।।
'शुभम'जगाती चाव,सदा करती उर घायल।
जब होती है शांत,घाव भरती पग पायल।।
पायल भूषण पाँव का,नारी का पग चैन।
घर आँगन छुनछुन बजे,चुप अँगना के बैन।।
चुप अँगना के बैन,निमंत्रण की संकेतक।
विनत नैन में लाज,प्रणय याच न संचेतक।।
'शुभम'सलज संवाद,हृदय को करते घायल।
बजता नव संगीत,रजत की प्रेमिल पायल।।
पायल बेड़ी पैर की,नारी पग प्रतिबंध।
भंग नहीं सीमा करें,चले मंद ही मंद।।
चले मंद ही मंद, मोहती मन को नर के।
गूँजे मधु संगीत,सुखी परिजन घर भर के।
शुभम रजत का मोह,सभी नर धी के कायल
मर्यादा की सीख दे रही,पग की पायल।।
पायल तू बड़भागिनी, प्रति क्षण छूती पाँव।
सदा संगिनी नारि की,घर बाहर या गाँव।।
घर बाहर या गाँव, नचाती है वामा को।
बनती तन शृंगार, सजाती तू कामा को।।
शुभं सुरुचि का साज, चलाती नारि मिसाइल
अनदेखे ही घात,पुरुष को घायल पायल।।
पायल की झंकार से,मन होता मदहोश।
धीरे -धीरे तुम चलो,कुछ पल ले लूँ होश।
कुछ पल ले लूँ होश, सँभल जाने दो मुझको।
होता मन बैचेन,कहर ढाना है तुझको।।
'शुभम' तीर संधान,किया करता यों घायल।
चलती कामकमान,पाँव दो बजती पायल
💐 शुभमस्तु !
15.06.2020 ◆ 2.30 अप .
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