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✍ शब्दकार ©
🏋🏻♂️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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शक्ति बिना शव रूप है,
शिव का सत्य स्वरूप।
साँसें ही शिव शक्ति हैं,
वरना तन अपरूप।।1
माता दुर्गा शक्ति का,
पूजन करते राम।
विजयश्री ने वर लिया,
युद्ध क्षेत्र अभिराम।।2
शक्ति बिना जीवन नहीं,
रस विहीन ज्यों ईख।
ध्वनिविस्तारक यंत्र में,
ध्वनि उलूक की चीख।।3
विविधरूपिणी शक्ति है,
तन, मन, धी की शक्ति।
मानव को सब चाहिए,
हो यदि सच्ची भक्ति।।4
बिना बुद्धि की शक्ति के,
मानव शूकर श्वान।
बुद्धि प्रवणता से बने,
मानव यौनि महान।।5
खान -पान , संतति - सृजन,
करते खग, मृग , श्वान।
बुद्धि शक्ति इतनी प्रबल,
होती बस इंसान।।6
सात फीसदी से अधिक,
करता नहीं प्रयोग।
शेष शक्ति धी भोथरी,
मानव का संयोग।।7
वैभव - शक्ति महान है,
आती शक्ति विवेक।
वैभव से ही नष्ट हो,
शक्ति बुद्धि की नेक।।8
शक्ति सिंह तो नाम है,
मच्छर जितनी जान।
नाम बड़ा छोटा दरस,
कोरी तेरी शान।।9
शक्ति स्वरूपा नारियाँ,
पुरुष जाति की शक्ति।
लक्ष्मी, दुर्गा , चंडिका,
जैसी भी अनुरक्ति।।10
शक्ति प्रबल ऊर्जा 'शुभम',
विद्युत प्रकृति वेग।
पाहन पिघलें शक्ति से,
युद्ध भूमि में तेग।।11
💐 शुभमस्तु!
23.06.2020 ◆12.30 अपराह्न।
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