रविवार, 28 जून 2020

बाग [ छंद:रंगी ]


विधान :    212    2
                रगण   गुरु
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✍शब्दकार ©
🌳 डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जाग   माली।
तोड़  डाली।।
शूल   फेंको।
फूल   रोको।।

वायु   जागी।
तू   सुभागी।।
नींद  त्यागो।
बाल  जागो।।

बाग    में आ।
फूल   लेजा ।।
शीघ्र  आजा।
फूल   ताज़ा।।

डाल    छाँटो।
झाड़  काटो।।
काज   माली।
साफ   नाली। 

फूल     नीले।
लाल    पीले।।
झूमते      हैं।
चूमते      हैं।।

पीपलों   की।
शीशमों  की।।
डाल    झूमी।
भूमि   चूमी।।

बाग     सारा।
खूब   प्यारा।।
नाचती     है।
कूदती     है।।

देख    रानी।
तेज  पानी।।
बागवानी   ।
आजमानी।।

💐शुभमस्तु !

27.06.2020 ◆8.15 पूर्वाह्न।

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