शुक्रवार, 26 जून 2020

शांति [ दोहा ]

★★★★★★★★★★★★★★★★★
✍ शब्दकार©
☘️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
★★★★★★★★★★★★★★★★★
अरिदल जब फुंकारता,सोहे हमें न शांति।
गोली दें गाली जहाँ, करनी होगी  क्रांति।।

शांति सदा होती भली,शांत नहीं कमजोर।
सुप्त सिंह को मत जगा, बनकर तू बरजोर।।

गलवन घाटी में हुए,जो शहीद रणवीर।
बदला लेंगे क्रांति से,शांत नहीं शमशीर।।

जो शहीद सुरपुर बसे,उनका सब प्रतिशोध।
शांति धर्म को त्यागकर,लेना करके क्रोध।।

घोड़ी का ढब देखकर,बदले मेंढक चाल।
शांति मार्ग को भूलकर,ठुक वाता पगनाल।।

शांति और संतोष से,बनते बिगड़े काम।
साधक सज्जन संतजन,रहें शांति के धाम।।

शांति रहे परिवार में,सुख की बरसे धार।
जहाँ क्लेश होता रहे , दुख का पारावार।।

कलहा कर्कश नारियाँ,नहीं जानतीं शांति।
गली मुहल्ला धाम में,फैलातीं नित भ्रांति।।

कोरोना ने शांति को,भंग किया हर ओर।
रात दिवस भय से भरा,नहीं सुनहरी भोर।।

हर अशांत जन सोचता, कोरोना से खिन्न।
चीन देश ने विश्व में,छोड़ दिया  है    जिन्न।।

सकल विश्व में शांति का, पड़ने लगा अकाल
'शुभं'सुमति भूले सभी,बजी मीच की ताल।
 
💐 शुभमस्तु! 

22.06.2020◆9.30 पूर्वाह्न।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...