बुधवार, 3 जून 2020

जिंदगी का रास्ता [ गीत ]


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✍ शब्दकार ©
🏃🏻‍♂️ डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम'
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ज़िंदगी         का    रास्ता   सीधा  नहीं हैं।
पुरुषार्थ    का गंतव्य   तो दूभर कहीं है??

चल      सँभल कर रास्ता तू रुक न जाना।
शूल    जो पथ  में मिलें तू  झुक न जाना।।
हस्तामलकवत   फल   कहीं होता कहीं है?
ज़िंदगी        का    रास्ता   सीधा  नहीं   हैं।।

झील    सरिता  सिंधु  गिरिवर भी मिलेंगे।
चलता      रहा  तो  फूल कंकड़ में खिलेंगे।।
हाथ      पर     धर हाथ क्यों बैठा यहीं  है?
जिंदगी        का     रास्ता   सीधा नहीं   हैं।।

स्वार्थ       , वादों से    भरा   संसार सारा।
रुक गया    उसको नहीं मिलता किनारा।।
सत्य       को  झुठला रहा नर हर कहीं है।
ज़िंदगी      का    रास्ता    सीधा नहीं   हैं।।

राह          रपटीली      अँधेरा   भी बढ़ा है।
चलता   रहा जो धीर मंज़िल तक चढ़ा है।।
चट्टान     -  सी  दीवार पल भर में ढही हैं।
ज़िंदगी         का   रास्ता   सीधा नहीं हैं।।

यौनि   मानव   की मिली पशु खग नहीं तू।
कर्म     करना      मार्ग   तेरा  तज अहं बू।।
ऐ    'शुभम'    उठ   जाग तेरी सब मही है।
ज़िंदगी     का      रास्ता       सीधा  नहीं   हैं।

💐 शुभमस्तु  !

03.06.2020 ◆8.15 पूर्वाह्न।

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