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✍ शब्दकार©
🏹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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हमको कोई आँख दिखाए।
मुँह की खाए फिर पछताए।।
हमें नहीं है शौक जंग का।
हम फुव्वारा सप्त रंग का।।
क्यों सरहद पर नाच नचाये।
हमको कोई आँख दिखाए।।
जंग हमें भी करनी आती।
दुश्मन की छाती थर्राती।।
पीठ दिखा वापस घर जाए।
हमको कोई आँख दिखाए।।
बड़े जंगजू देखे हमने।
चीन पाक के तोड़े सपने।।
कैसे तू अधिकार जताए?
हमको कोई आँख दिखाए।।
फूँके हमने शंख शांति के।
नहीं सुनेंगे वचन भ्रांति के।।
हमें एकता शांति सुहाए।
हमको कोई आँख दिखाए।।
हथियारों में जंग नहीं है।
यान ,टैंक ,बम सभी सही हैं।।
तू क्या अपनी शान जताए!
हमको कोई आँख दिखाए।।
इधर चीन नापाक उधर है।
खुली आँख का दृष्टि सफर है
नेपाली को भी उकसाए।
हमको कोई आँख दिखाए।।
बड़ी- बड़ी बातें क्यों करता?
भारत के वीरों से डरता ??
बार -बार हमको अजमाए।
हमको कोई आँख दिखाए।।
💐 शुभमस्तु !
16.06.2020 ◆9.30 पूर्वाह्न।
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