सोमवार, 20 जून 2022

तम के पास उजास 🪷 [ सजल ]


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समांत : आस ।

पदांत:  है।

मात्राभार :16.

मात्रापतन: शून्य।

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✍️ शब्दकार ©

🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सुर       गण     को    शुभदा  सुवास    है।

आती       उनको      सदा     रास      है।।


तामस        ग्राही      असुर   सदा      से,

सुमनों        में        लगती   कुवास     है।


अस्ताचल        में        रविकर      पहुँचा,

हयदल         खाए      तमस    घास     है।


भले       न      भाए      तम    को   सूरज,

हर     तम        के      पीछे    उजास   है।


एक     ओर      शव     जलें  चिता    पर,

उधर         जन्म      लेता    विकास    है।


साथ      -    साथ     उद्भव - विनाश   भी,

प्रकृति         का        अद्भुत   प्रयास    है।


'शुभम्'       पुतिन   के    संग  देश    कुछ,

जेलेंस्की         की      आस,   पास       है।


🪴 शुभमस्तु ! 


१९जून २०२२ ◆१०.४५पतनम् मार्तण्डस्य।

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