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✍️ शब्दकार ©
🐥 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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चिड़िया क्यों उदास है भारी।
लगती थी जो इतनी प्यारी।।
सुबह जागती चूँ - चूँ करती,
चहल-पहल से घर को भरती,
आज न चूँ-चूँ पड़ी सुनाई,
बैठी अनमन पड़ी दिखाई,
आजअलग ही दिखती न्यारी।
साथ न बैठा आज चिरौटा,
गया कहाँ वह अभी न लौटा,
इधर -उधर बिखरे हैं तिनके,
सजा दिएथे जो गिन-गिन के,
रूठी खग - शावक महतारी।
दोनों दाना - पानी लाते,
दौड़-दौड़ उड़-उड़ खिलवाते,
बच्चे चें - चें के स्वर करते,
चोंच खोल दाना मुँह भरते,
भूखे - प्यासे हुए दुखारी।
घर में निज घोंसला बनाया,
सुखी एक परिवार बसाया,
क्यों उन पर विपदा है आई,
चुहल न अब वह पड़े सुनाई,
मुरझाई सुमनों की क्यारी।
🪴 शुभमस्तु !
०८ जून २०२२◆२.४५पतनम मार्तण्डस्य।
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