सोमवार, 27 जून 2022

मानव- जीवन उपन्यास है!📙 [ गीतिका ]


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✍️ शब्दकार ©

📙 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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मानव       -      जीवन     उपन्यास     है।

हम   सब    के   नित   आस- पास    है।।


बहु     चित     पात्र     मिलेंगे  पथ     में,

बद   - सुंदर       का     सघन न्यास    है।


मीत      अपेक्षा      मत      रख    सबसे,

जीवन         तेरा    वृत्त -   व्यास        है।


साथ            कौन         होगा  आजीवन,

निज   तन  - मन   से   सफल आस     है।


मात ,      पिता    गुरु     संतति       दारा,

इन      सबसे     जीवन -  विकास      है।


मिल        जाएँगे        कुछ    राहों      में,

कुछ        बिछड़ेंगे        बात खास      है।


जटिल       कथानक,   देश - काल       में,

भाषा      -     शैली      का  उजास      है।


पात्र,       चरित,     परिवेश,  वायु,   जल,

आना     ही      है       तुझे    रास      है।


नायक    ' शुभम्'        रहेगा    तू       ही,

तेरी       ही      तो      शुचि  सुवास    है।


🪴शुभमस्तु !


२६ जून २०२२◆ ७.००पतनम मार्तण्डस्य। 


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