सोमवार, 27 जून 2022

कल्पना 🦢 [ गीतिका ]

 

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✍️ शब्दकार ©

🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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गहन         कल्पना   -  निर्मित   सारा।

सृजन    सृष्टि      का     हुआ हमारा।।


मन    की   शक्ति     अपार  न   जाने,

कोई ,      सागर         रत्न    हजारा।


अंबर     में       रवि,     सोम, सितारे,

खोज    मनुज     नभ   -  गंगा   हारा।


अंत    नहीं      विज्ञान     शोध   का ,

ललित     काव्य     में    ज्ञान पसारा।


स्वप्न       सँजोती        नित्य कल्पना,

प्रभु  ने     जग     को    यहाँ उतारा।


अद्भुत     जीव,    जंतु,   पशु ,  पक्षी,

जनित       कल्पना      रूप  उभारा।


'शुभम्'    अकथ       है     गूढ़  कल्पने!

तुमसे        हमको         सबल  सहारा।


🪴 शुभमस्तु !


२७ जून२०२२◆२.३० पतनम मार्तण्डस्य।


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