सोमवार, 6 जून 2022

सच शूल नहीं है! 💎 [ सजल ]

  

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समांत : ऊल ।

पदांत: नहीं है।

मात्राभार :16.

मात्रापतन: शून्य।

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✍️ शब्दकार ©

🪷 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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समय        सदा      अनुकूल    नहीं    है।

हर     डाली      पर       फूल  नहीं     है।।


माता    -    पिता     मान  गुरु जन     का,

मानव          तेरी          भूल    नहीं     है।


सच        तो        चुभता    कड़वा   होता,

समझें        उसको       शूल   नहीं     है।


कर     में      जो      पल्लव  तुम    थामे,

जानें         विटप        समूल   नहीं     है।


पवन          उड़ाता        है   पराग   कण,

पहचानें         वह        धूल    नहीं       है।


हितचिंतक     हित        की    ही   कहता ,

देना          उसको         तूल    नहीं      है।


'शुभम्'      वक्ष      पर     जो शोभित  है,

केवल         क्षौम       दुकूल   नहीं       है।


🪴 शुभमस्तु !


०६ जून २०२२ ◆५.००आरोहणम् मार्तण्डस्य।


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