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✍️ शब्दकार ©
🌻 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
सदा समय है ईश हमारा,
सुरसरि की ज्यों शीतल धारा,
भरती है आनंद देह उर,
ज्यों रजनी में हो ध्रुव तारा।
-2-
समय - समय की अलग बात है,
कभी दिवस तो कभी रात है,
समय किसी का नहीं एक - सा,
होती शह तो कभी मात है।
-3-
भूलो कल मत कभी आज भी,
कभी चने भर कभी ताज भी,
चलती लहर समय की हर पल ,
समय सजाता 'शुभम्' साज भी।
-4-
समय कभी बरबाद न करना,
रुकता नहीं समय का झरना,
बूँद - बूँद से सागर भरता,
समय - सिंधु के पार उतरना ।
-5-
जो न समय की चिंता करता,
नहीं समय उससे फिर डरता,
क्या होगा भविष्य नर तेरा,
शीघ्र पाप से तव घट भरता।
🪴 शुभमस्तु !
२८ जून २०२२◆११.४५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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