बुधवार, 8 जून 2022

गर्मी आई 🌤️ [ बाल कविता ]

  

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✍️ शब्दकार ©

🌤️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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क्या -क्या लाई

गर्मी आई।


खीरा ककड़ी है

खरबूजा,

लाल  -  लाल 

मीठा तरबूजा,

लँगड़ा आम 

दशहरी  लाई,

गर्मी  आई।


मथती दधि को

छाछ बनाती,

अम्मा लौनी

हमें खिलाती,

भैया ने 

लस्सी बनवाई,

गर्मी आई।


बहता तन से

नित्य पसीना,

कठिन हो गया

अब तो जीना,

अच्छी ठंडी

लगे मलाई,

गर्मी आई।


फ़ालसेव 

जामुन भी प्यारे,

देती  अम्मा 

दूध छुहारे,

बदली नहीं

अभी तक छाई,

गर्मी आई।


ठेले पर हम

जब भी जाते,

हमें संतरे 

 बहुत लुभाते,

उनकी अब

हो रही विदाई,

गर्मी आई।


🪴 शुभमस्तु !

०८ जून २०२२ ◆ ५.३० आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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