शनिवार, 4 जून 2022

कल कोई आने वाला है! 🏕️ [ नवगीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🏕️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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मन में है

उत्साह सास के

मन में कितनी साधें

पाल रही है,

कल कोई आने वाला है।


कमी नहीं कोई रह पाए

स्वागत में सत्कार में,

पहली बार आगमन उनका

करूँ प्रतीक्षा द्वार में,

जाने कब तक वे आएँगे,

नयन न मेरे थक जाएँगे!

प्रिय जामाता मेरे,

घर भर पूर्ण सजा डाला है,

कल  कोई  आने  वाला है।


पलक पाँवड़े बिछा राह में

उनको   बुला  बिठाऊँ,

अपने उर की नेह बाँह में

सुमनित सेज बिछाऊं,

हर्षित कोना -  कोना,

आए  श्याम सलोना,

जलते दीप उजेरे,

उर में भरा उजाला है,

कल कोई आने वाला है।


जली जा रही तुच्छ पड़ोसिन

अपनी सोच सुधार करे,

देख सुमन मेरे अंतर के

जल -जल जाए मरे- टरे,

पाएगी जो बोना ,

करे न कोई टोना,

सबका अलग निवाला है,

कल कोई आने वाला है।


🪴 शुभमस्तु !


०४.जून २०२२◆९.००आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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