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✍️ शब्दकार ©
🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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कंधे पर रख पौध को, जाता खेत किसान।
पानी टपके मूल से, रोपेगा वह धान।।
डंडे के दो छोर पर, पौध लटकती मीत।
रोपेगा जब खेत में,कृषक मानता जीत।।
धान- पौधशाला सजी,सघन पौध से आज।
मूल सहित लाया अभी,फसल बने सुखसाज
टप -टप टपके मूल से,पानी अविरल बूँद।
चला जा रहा खेत की,मेंड़ कृषक चख मूँद।
हरा - हरा हर खेत है, हरी मेंड़ पर घास।
हरी पौध काँधे रखी,नई फसल की आस।।
देता सबको अन्न वह,भारत वीर किसान।
जाता है निज खेत पर,होते कनक- विहान।।
आओ हम स्वागत करें,शुभं कृषक का मीत।
जीता नित्य अभाव में,फिर भी उसकी जीत।
🪴 शुभमस्तु !
२८ जून २०२२◆१.००पतनम मार्तण्डस्य।
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