मंगलवार, 28 जून 2022

धान -पौध धर स्कंध 🌱 [ दोहा ]


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✍️ शब्दकार ©

🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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कंधे  पर  रख पौध को, जाता खेत किसान।

पानी  टपके   मूल  से,  रोपेगा वह    धान।।


डंडे  के  दो  छोर  पर, पौध लटकती  मीत।

रोपेगा जब  खेत  में,कृषक मानता  जीत।।


धान- पौधशाला  सजी,सघन पौध  से आज।

मूल सहित लाया अभी,फसल बने सुखसाज


टप -टप  टपके मूल से,पानी अविरल  बूँद।

चला जा रहा खेत की,मेंड़ कृषक चख मूँद।


हरा - हरा हर खेत है, हरी मेंड़  पर  घास।

हरी पौध काँधे रखी,नई फसल  की  आस।।


देता  सबको  अन्न वह,भारत वीर  किसान।

जाता है निज खेत पर,होते कनक- विहान।।


आओ हम स्वागत करें,शुभं कृषक का मीत।

जीता नित्य अभाव में,फिर भी उसकी जीत।


🪴 शुभमस्तु !


२८ जून २०२२◆१.००पतनम मार्तण्डस्य।


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