सोमवार, 6 जून 2022

पेड़ों की चर्चा हो जाए! 🌳 [ नवगीत ]

 पर्यावरण दिवस पर :


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✍️ शब्दकार ©

🌱 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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अपने कूड़े को

दरवाजे डाल

और के आएँ,

पेड़ों  की  चर्चा हो जाए।


पाँच जून की गरम दुपहरी

यहाँ  न   बैठा जाए,

ए सी में चल कर बतियाएँ

लस्सी ही  चल पाए,

गड्ढे   कुछ  खुदवाएँ,

उनमें पौधे लगवाएँ,

पशु भैंस  न  चरने  पाए।


पकड़ किसी का हाथ 

किसी ने किसको रोका भाया?

लाभ अँधेरे का वह लेकर

कचरा फेंका आया,

किसको क्या  समझाए?

अपना घर स्वच्छ बनाए,

करना  जिसको  जो  भाए!


गोबर पर मखमल की चादर

हमें   उढाना   आता,

लगता एक काटते सौ तरु

हर  नेता  समझाता,

होती  बस  रस्म  अदाई,

हँसती फोटो खिंचवाई,

रसगुल्ले खा घर आए।


गरम समोसे - से भाषण से

गर्मी  का  उतरा  पारा,

ए सी लगे बंद कक्षों में

बहती है सरिता - धारा,

सब     समाचार   छपवाए,

अभियान सफल करवाए,

नारे   भी  गए   लगाए।


🪴 शुभमस्तु !


०५ जून २०२२◆२.४५ पतनम मार्तण्डस्य।


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