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✍️ शब्दकार ©
💎 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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हम अपने इतिहास - विधाता।
भले न अक्षर लिखना आता।।
वर्तमान आँखों के आगे,
भावी का है वह निर्माता।
जीवन में पगडंडी अनगिन ,
जो भटका फ़िर राह न पाता।
पर उपदेश कुशल जग सारा,
स्वयं न करता राह बताता।
गली - गली में पंडित ज्ञानी,
धन का लोभी ज्ञान जताता।
ढोंग पुण्य का आम यहाँ पर,
छिपा - आवरण पाप कमाता।
'शुभम्' अग्निपथमय जीवन है,
चलें सँभल कर क्यों पछताता।
🪴 शुभमस्तु !
२४ जून २०२२◆८.३०
पतनम मार्तण्डस्य।
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