शुक्रवार, 24 जून 2022

हम ही हैं इतिहास-विधाता 💎 [ गीतिका ]


■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■

✍️ शब्दकार ©

💎 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■

हम          अपने       इतिहास - विधाता।

भले    न       अक्षर    लिखना    आता।।


वर्तमान           आँखों         के      आगे,

भावी        का         है      वह    निर्माता।


जीवन             में      पगडंडी   अनगिन ,

जो       भटका    फ़िर    राह  न    पाता।


पर       उपदेश     कुशल     जग    सारा,

स्वयं      न       करता       राह    बताता।


गली     -    गली      में    पंडित     ज्ञानी,

धन      का      लोभी      ज्ञान     जताता।


ढोंग     पुण्य      का     आम   यहाँ    पर,

छिपा     -   आवरण        पाप   कमाता।


'शुभम्'       अग्निपथमय   जीवन       है,

चलें       सँभल   कर      क्यों   पछताता।


🪴 शुभमस्तु !


२४ जून २०२२◆८.३०

 पतनम मार्तण्डस्य।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किनारे पर खड़ा दरख़्त

मेरे सामने नदी बह रही है, बहते -बहते कुछ कह रही है, कभी कलकल कभी हलचल कभी समतल प्रवाह , कभी सूखी हुई आह, नदी में चल रह...