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✍️ शब्दकार ©
🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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बिना भाव साकार न होता।
शब्दों का आकार न होता।।
जननी जनक नहीं यदि होते,
संतति का आधार न होता।
कृत पुण्यों के बीज न फलते,
भव - सागर से पार न होता।
सत करनी सुमनों - सी महके,
क्या मानव - आचार न होता ?
नहीं वासना होती अतिशय,
मानव भू का भार न होता।
होड़ लगी आगे बढ़ने की,
ग्रीवा में शुभ हार न होता।
'शुभम्' प्रकृति का न्याय बड़ा है,
देश - देश में वार न होता।
🪴 शुभमस्तु !
१९ जून २०२२◆ ७.३०
पतनम मार्तण्डस्य।
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