301/2022
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छंद विधान:
1.वर्णिक छंद।
2.चार चरण।
3.क्रमशः 08 लघु गुरु =16 वर्ण।
IS IS IS IS IS IS IS IS =16 वर्ण।
अथवा
जगण रगण जगणं रगण
ISI. SIS. ISI. SIS
जगण रगण
ISI. SIS. =16 वर्ण।
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✍️शब्दकार ©
🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
सु-देश में पला रहा,वही न हो सका सगा।
सदा सदोष सोचता, न भाव देश का जगा।।
विरोध क्रोध की क्रिया,तुझे न चैन दे सकी।
असंख्य भीड़ सोच ये,सु-नारि वासना तकी।
-2-
विलोम काम -काज में,नितांत है सलीनता।
अनेक जान-माल भी,अबाध मूढ़ छीनता।।
नहीं भरा घड़ा अभी,न पाप ही अभी फले।
कुराह ही चला सदा, न चाँद भी मही ढले।।
-3-
विरंचि ने बना दिए,प्रसून शूल भी सभी।
अधीर धीर संत भी,असंत भी कभी-कभी।।
तुला रहे समान ही,अहं विनाश क्यों करे।
न मानवीय काज में,अधीन मीन - सा मरे।।
-4-
विचार, भाव शोध ले,न ढोर श्वान तू रहे।
सुबोध ज्ञान धार ले,न काम ध्यान में बहे।।
तुझे सु - देह मानवी, प्रदान की विधान ने।
नहीं मिटा वृथा उसे,रहे न काठ - सा तने।।
-5-
जगा, जगा, जगा, जगा,जगा सुजान मूढ़ता।
भगा, भगा, भगा, भगा,भगा विमूढ़ कूढ़ता।।
रहे, रहे, रहे, रहे, रहे न तू यहाँ सदा।
करें, करें, करें, करें, करें कृपा सु- शारदा।।
🪴 शुभमस्तु !
२९.०७.२०२२◆११.४५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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