293/2022
■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■
✍️ शब्दकार©
🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■◆■
हमको इंद्रधनुष अति भाता।
पावस के अम्बर में आता।।
सात रंग का धनुष इंद्र का।
बैंगन जैसा रँग है चहका।।
नीला फिर आकाशी छाता।
हमको इंद्रधनुष अति भाता।।
हरा, पीत, नारंगी मोहन।
लाल अंत में देखो सोहन।।
जो न देखता वह पछताता।
हमको इंद्रधनुष अति भाता।।
जलकण पर रविकर विक्षेपण।
आता है वर्षा में ये क्षण।।
अपवर्तन किरणों को पाता।
हमको इंद्रधनुष अति भाता।।
कभी परावर्तन भी होता।
पीछे पीठ भानु संजोता।।
इंद्रधनुष तब नभ चमकाता।
हमको इंद्रधनुष अति भाता।।
प्रकृति के हैं रंग निराले।
नूतन 'शुभम्' रूप में ढाले।।
किसको दृश्य न सुखद सुहाता।
हमको इंद्रधनुष अति भाता।।
🪴 शुभमस्तु !
२६.०७.२०२२◆१०.३० आरोहणम् मार्तण्डस्य।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें