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✍️ शब्दकार ©
👮♂️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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देश का करने को उद्धार,
हमें ही बढ़ना होगा मीत।
उसे ही मिलता है गल हार,
शृंग पर चढ़ता पाता जीत।।
न समझें हमको बालक आप,
हरेंगे हम माँ के संताप।
मिटा देंगे भारत के ताप,
भले ही छोटी तन की माप।।
करेगी बुद्धि आपकी काम,
बढ़ेंगे आगे हम दिन- रात।
दिशा दें आप बढ़ाएँ नाम,
हमें विश्वास हमारे तात।।
हमें है पढ़ना - लिखना खूब,
बनेंगे हम सुयोग्य विद्वान।
जलेगी हमसे सारी दूब,
बनेगा मेरा देश महान।।
रहेंगे नहीं दोगले साँप,
करेंगे उनका विष हम दूर।
हमारे भय से जाएँ काँप,
एकजुटता हममें भरपूर।।
🪴 शुभमस्तु !
०७.०७.२०२२◆६.३० आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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