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✍️ शब्दकार ©
🏄🏻♂️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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छप्पक छैया ! छप्पक छैया।
चलो बाग में खेलें भैया।।
देखो बादल बरस रहे हैं।
नाले - नाली खूब बहे हैं।।
नाचेंगे हम ताता थैया।
छप्पक छैया! छप्पक छैया!!
रिमझिम रिमझिम चलें फुहारें
नानी गाती गीत मल्हारें।।
रँभा रही है भीगी गैया।
छप्पक छैया ! छप्पक छैया!!
भैंस कीच में लोर रही है।
लौह - शृंखला तोड़ रही है।।
तोड़े डाले बँधी पगहिया।
छप्पक छैया ! छप्पक छैया!!
पकते टपके टपक रहे हैं।
झोली में सब लपक रहे हैं।।
अपनी तो हैं छोटी बैयाँ।
छप्पक छैया ! छप्पक छैया!!
चल वर्षा में खूब नहाएँ।
कागज़ की दो नाव चलाएँ।।
अम्मा से ले पाँच रुपैया।
छप्पक छैया ! छप्पक छैया!!
🪴 शुभमस्तु !
२६.०७.२०२२◆६.४५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।
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