मंगलवार, 26 जुलाई 2022

छप्पक छैया 🏄🏻‍♂️ [ बालगीत ]


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✍️ शब्दकार ©

🏄🏻‍♂️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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छप्पक  छैया !  छप्पक छैया।

चलो  बाग  में   खेलें   भैया।।


देखो  बादल   बरस   रहे   हैं।

नाले -  नाली   खूब  बहे  हैं।।

नाचेंगे     हम    ताता    थैया।

छप्पक छैया! छप्पक छैया!!


रिमझिम रिमझिम चलें फुहारें

नानी  गाती  गीत     मल्हारें।।

रँभा    रही   है   भीगी  गैया।

छप्पक छैया ! छप्पक छैया!!


भैंस  कीच  में  लोर  रही  है।

लौह - शृंखला  तोड़  रही है।।

तोड़े   डाले  बँधी   पगहिया।

छप्पक छैया ! छप्पक छैया!!


पकते  टपके   टपक  रहे  हैं।

झोली में सब  लपक  रहे हैं।।

अपनी  तो  हैं    छोटी   बैयाँ।

छप्पक छैया ! छप्पक छैया!!


चल   वर्षा   में  खूब   नहाएँ।

कागज़ की दो नाव   चलाएँ।।

अम्मा  से   ले   पाँच   रुपैया।

छप्पक छैया ! छप्पक छैया!!


🪴 शुभमस्तु !


२६.०७.२०२२◆६.४५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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