288/2022
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समांत: अर।
पदांत :पानी।
मात्राभार:16.
मात्रा पतन :शून्य।
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✍️ शब्दकार ©
🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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बरस रहा है झर - झर पानी।
बादल लाते भर - भर पानी।।
ताल - तलैया भरे लबालब,
खुशियाँ देता घर - घर पानी।
मेघ गरजते चमके बिजली,
गिरा पनारे धर - धर पानी।
स्वाति - बिंदु की टेक लगाए,
चातक पीता हर - हर पानी।
करे दादुरी का आवाहन,
दादुर करता टर - टर पानी।
धर कंधे पर कृषक फावड़ा,
चला, न जाए सर-सर पानी।
'शुभम्' सरसती पावस रानी,
करे अवनि को तर -तर पानी।
🪴 शुभमस्तु !
२४.०७.२०२२◆ १०.३०
पतनम मार्तण्डस्य।
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