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✍️ शब्दकार ©
🦣 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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अब वन में चुनाव की बारी।
करें सभी वन - पशु तैयारी।।
वन का राजा कौन बनेगा।
जो जंगल पर राज करेगा।।
ढोल बज रहे ढम - ढम भारी।
अब वन में चुनाव की बारी।।
चीता शेर तेंदुआ हाथी।
आपस में हैं सब ही साथी।।
करते हैं एजेंडा जारी।
अब वन में चुनाव की बारी।।
शेर नहीं हिरनों को खाते।
किसी तरह वे काम चलाते।।
चीते ने भी भैंस न मारी।
अब वन में चुनाव की बारी।।
नहीं तेंदुआ हिंसक इतना।
हाथी भी उदार है कितना!!
करते सब तैयारी सारी।
अब वन में चुनाव की बारी।।
चूहा हिरन शशक सब आए।
अपना मत देकर खुश पाए।।
खुशर - पुशर करतीं पशु - नारी।
अब वन में चुनाव की बारी।।
🪴 शुभमस्तु !
०५.०७.२०२२◆१.४५ पतनम मार्तण्डस्य
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