विधान -यमाता यमाता
ISS. ISS : 06वर्ण।दो चरण तुकांत।
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✍ शब्दकार ©
🦚 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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घिरे मेघ भूरे।
भरे नीर पूरे।।
झड़ी तेज आती।
सभी को सुहाती।।
बहे हैं पनारे।
लगे वे सुखारे।।
बही तेज नाली।
चला बाग माली।।
नदी का किनारा।
बहे तेज धारा।।
बड़ी बाढ़ आई।
नहीं है सुहाई।।
हरी घास भायी।
सुधा में नहायी।।
नए जीव आए।
घने पेड़ छाए।।
न आकाश नीला।
बने मेघ टीला।।
समा है सुहाना।
मनों को लुभाना।।
चलो गीत गाएँ।
घने बाग जाएँ।।
हँसें भी हँसाएँ।
दुखों को नसाएँ।।
'शुभं' आ निहारें।
धरा की बहारें।।
फुहारें फुहारें।
समा ये निहारें।।
🪴शुभमस्तु !
१०.०७.२०२२◆८.१५पतनम मार्तण्डस्य।
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