302/2022
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छंद विधान:
1.वर्णिक छंद।
2.चार चरण।
3.क्रमशः 08 लघु गुरु =16 वर्ण।
IS IS IS IS IS IS IS IS =16 वर्ण।
अथवा
जगण रगण जगणं रगण
ISI. SIS. ISI. SIS
जगण रगण
ISI. SIS. =16 वर्ण।
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✍️शब्दकार ©
🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'
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-1-
न देश का विचार है,विचार जाति-पाँति का।
गुबार ही गुबार है,नहीं सुनीति - रीति का।।
विनाश काल सामने,न देखता सु - नैन से।
नशा नसा रहा तुझे,रहा न मूढ़ चैन से।।
-2;
मरा न कौन काल से,न तू सदा - सदा रहे।
सदा सु-काज ही जिया, सु-देहआग में दहे।
न राह रोक और की, न आह ले कभी यहाँ।
सु-पंथ पे सदा चले,सु -योनि मानुसी कहाँ??
-3-
न गैर नारि कामना,सुधार मीत भावना।
हिरण्य सेंध-साधना, समाज-नीति लाँघना।।
अनीति है जघन्यता,कुकर्म साज साजता।
सु-धी मलीन पात्र को,सुसंग से न माँजता??
-4-
ध्वजा तिरंग सोहती,विमोहती स्वदेश को।
हमें गुरूर है बड़ा, सु-वन्दगी महेश को।।
अराति बाट जोहता, असावधान हों नहीं।
सुमेरु- से गिरें वहाँ,अमीत हों जहाँ कहीं।।
-5-
चले सुपंथ में सदा, कुपंथ की न राह ले।
मिली सुबुद्धि भी तुझे,न जी अमीत चाह ले।
भरें न पेट ढोर भी, सुतथ्य तू न जानता?
उगा न भानु रात में,सु - सत्य यों न मानता।।
🪴 शुभमस्तु !
२९.०७.२०२२◆०२.००पतनम मार्तण्डस्य।
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