शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

प्रबोध -मंजरी 🦚 [छंद-पञ्चचामर ]

 302/2022


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छंद विधान:

1.वर्णिक छंद।

2.चार चरण।

3.क्रमशः 08 लघु गुरु =16 वर्ण।

IS IS IS IS  IS IS IS IS =16 वर्ण।

                 अथवा 

जगण  रगण  जगणं  रगण

ISI.    SIS.   ISI.    SIS


जगण   रगण  

ISI.     SIS.  =16 वर्ण।

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✍️शब्दकार ©

🌈 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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                         -1-

न देश का विचार है,विचार जाति-पाँति का।

गुबार ही गुबार है,नहीं सुनीति - रीति   का।।

विनाश  काल सामने,न देखता सु - नैन  से।

नशा  नसा   रहा  तुझे,रहा न मूढ़   चैन  से।।


                         -2;

मरा न  कौन काल से,न तू सदा - सदा  रहे।

सदा सु-काज ही जिया, सु-देहआग में दहे।

न राह रोक और की, न आह ले कभी यहाँ।

सु-पंथ पे सदा चले,सु -योनि मानुसी कहाँ??


                         -3-

न  गैर  नारि  कामना,सुधार मीत   भावना।

हिरण्य सेंध-साधना, समाज-नीति  लाँघना।।

अनीति है जघन्यता,कुकर्म साज  साजता।

सु-धी मलीन पात्र को,सुसंग से न माँजता??


                         -4-

ध्वजा तिरंग सोहती,विमोहती स्वदेश   को।

हमें  गुरूर है बड़ा, सु-वन्दगी महेश   को।।

अराति बाट जोहता, असावधान  हों  नहीं।

सुमेरु- से गिरें  वहाँ,अमीत हों जहाँ  कहीं।।


                         -5-

चले  सुपंथ  में सदा, कुपंथ की  न  राह ले।

मिली सुबुद्धि भी तुझे,न जी अमीत चाह ले।

भरें न पेट  ढोर भी, सुतथ्य  तू  न जानता?

उगा न भानु रात में,सु - सत्य यों न मानता।।

                 

🪴 शुभमस्तु !


२९.०७.२०२२◆०२.००पतनम मार्तण्डस्य।

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