मंगलवार, 26 जुलाई 2022

घेवर लाया! 🥯 [ बालगीत ]

 292/2022

 

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✍️ शब्दकार ©

🍩 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम्'

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सावन   आया   घेवर   लाया।

मुँह  में  मेरे   पानी    आया।।


जाते   जब   बाजार पिताजी।

लेने   घर -  सामग्री   भाजी।।

मैंने   घेवर     तभी    मँगाया।

सावन  आया  घेवर   लाया।।


दादी   के   हैं    गाल  पोपले।

हुए दाँत बिन पिचक खोखले

घेवर उनको   खूब   लुभाया।

सावन आया   घेवर   लाया।।


दीदी   भैया   सब   ही खाते।

माँग -  माँग कर माँ से लाते।।

लप - लप करके   मैंने खाया।

सावन  आया   घेवर  लाया।।


यों  तो  होतीं   बहुत  मिठाई।

लड्डू,पेड़ा, सु - रस  मलाई।।

गरम जलेबी  कौन  भुलाया ?

सावन   आया  घेवर  लाया।।


कम मीठा ही   बच्चो  खाना।

यदि न चाहते  दाँत  गिराना।।

दादी   बाबा   ने    समझाया।

सावन  आया   घेवर  लाया।।


🪴 शुभमस्तु !


२६.०७.२०२२◆९.४५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।

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