रविवार, 24 जुलाई 2022

कबीर एक चाहिए! ⛳ [ गीतिका ]



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✍️शब्दकार ©

🪴 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम् '

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वीभत्स       जातिवाद      है।

विनाश    का    निनाद    है।।


कबीर         एक        चाहिए,

सु-चर्मभेद        गाद         है।


अछूत       शूल -  सा     चुभे,

पर रक्त     मय     स्वाद    है।


आचार          पक्षपात      के,

कहीं     न     इत्तिहाद       है।


पचे   न    सत्य    आज    भी,

सदोष         मन - मुराद    है।


पढ़े   -  लिखों  में    और  भी,

अनैक्य      का    प्रवाद     है।


गिरे    न    पंक     भूमि    से,

शिखान्त       शंखनाद      है।


आदमी   ,    आदमी        को,

लहूलुहान         दाद         है।


भेदभाव        यहाँ     'शुभम्',

मानवी          ईजाद         है।


🪴शुभमस्तु !


२४.०७.२०२२◆११.१५ आरोहणम् मार्तण्डस्य।


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