212/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
नाक कान पर अटका चश्मा।
हमको राह दिखाता चश्मा।।
तेज धूप की चौंध न भाती,
आँखों को भरमाता चश्मा।
दृष्टि अगर कमजोर हमारी,
साफ - साफ दिखलाता चश्मा।
यदि हो आँख खराब किसी की,
शगुन न बुरा कराता चश्मा।
मुखड़े का शृंगार एक यह,
चारों चाँद लगाता चश्मा।
सूरदास भी सजते इससे,
दर्शक को जतलाता चश्मा।
'शुभम्' शौक का पूरक कृत्रिम,
मित्रो रंग - बिरंगा चश्मा।
शुभमस्तु !
06.05.2024●12.30प०मा०
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सोमवार, 6 मई 2024
चश्मा [बाल गीतिका]
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