गुरुवार, 23 मई 2024

नाग नथैया गिरिवर धारी [ गीतिका ]

 231/2024

      

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


लगें       रंग    के     काले     हैं,

सबके    मुरली       वाले      हैं।।


मातु     देवकी     जननी     के,

नटखट     पुत्र     निराले     हैं।।


कारागृह   में      जन्म     हुआ,

लगे  जहाँ    पर    ताले      हैं।।


चलें  सखाओं के सँग दिन भर,

पड़ें  न    पग     में   छाले    हैं।।


नाग    नथैया     गिरिवर  धारी,

लगते       भोले -  भाले      हैं।।


लूट  -  लूट   दधि माखन  खाते,

माँ      यशुदा    ने    पाले    हैं।।


वन -  वन जाते    गौचारण  को,

विपदाओं      ने      ढाले      हैं।।


'शुभम्' श्याम राधा  के प्रिय वर,

कंस    आदि   के     लाले    हैं।।


शुभमस्तु !


20.05.2024●2.15प०मा०

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