शनिवार, 25 मई 2024

छिपकलियों में छिड़ी लड़ाई [बालगीत]

 238/2024

 


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


छिपकलियों    में    छिड़ी  लड़ाई।

मोटी - मोटी         लड़ने      धाई।।


सभी  कह  रहीं    छत     है   मेरी।

बतला  तू     कैसे    छत      तेरी।।

सबने  अपनी      युक्ति     जताई।

छिपकलियों  में     छिड़ी   लड़ाई।


मक्खी     मच्छर  तू    खा    जाती।

मुझे  भयंकर     भूख       सताती।।

सबसे  पहले     मैं       थी    आई।

छिपकलियों  में     छिड़ी   लड़ाई।।


कीट  पतंगों   के     मत ले    लो।

फिर मस्ती से  छत  तर    खेलो।।

जिसने  लड़      कुर्सी   हथियाई।

छिपकलियों  में    छिड़ी  लड़ाई।।


छत   पर     प्रजातंत्र    ही   होगा।

जो   जीते,      पहने   नृप  - चोगा।।

नहीं        चलेगी          तानाशाई।।

छिपकलियों  में     छिड़ी   लड़ाई।।


आगे      पीछे      दौड़    लगाती।

लड़ने लगीं    सभी   बल  खाती।।

'शुभम्'  करें    कनवेसिंग   भाई।

छिपकलियों  में     छिड़ी  लड़ाई।।



शुभमस्तु !


23.05.2024●4.30प०मा०

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