गुरुवार, 23 मई 2024

शुभद अल्पना घर में [ गीत ]

 232/2024

         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सुख समृद्धि

धन-धान्य बढ़ाती

शुभद अल्पना घर में।


आता पर्व

दिवाली का जब

लेतीं  बना  रँगोली।

धर्म - कार्य

पूजा व्रत में भी

सजती रही अमोली।।


कमल पुष्प

मोरों से सजती

सुखद अल्पना दर में।


माँ बहनों

ने लिया हाथ में

गृह - सज्जा  अधिकार।

अला-बला से

बचा रहे घर

दोषों  का   प्रतिकार।।


चावल रोली

आटा बालू

से सज भारत भर में।


देवी - देव

ज्यामितिक आकृति

हल्दी   या   सिंदूर।

स्वस्तिक लक्ष्मी -

 चरण सजाते

नया  सृजन  भरपूर।।


कल इसको

धुल जाना ही है

भाव यही नश्वर में।


शुभमस्तु !


21.05.2024●7.15 आ०मा०

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